छटपटाह

सपने उड़ान तो लगा देते हैं
मनो के इच्छाओं की छलांग
कई बार सीमाएं लाँघ देती हैं
पर उड़ नहीं पाती है खुले आसमान मै

कुछ रिश्ते कभी रिश्ते नहीं होते
फिर भी अपनापन बांधे सा रखता है
कई बार छटपटाह सी होती है
फिर भी मन उड़ना नहीं चाहता 

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