जा
जो हुआ सो हुआ
ये स्नेह मरा अच्छा हुआ
सच मे पत्थर ही रहा तु
आज सम्मान उठ गया अच्छा हुआ
पता न था तेरे मेरे बीच का तनाव
यूँ इन्सानियत मार जायेगा
सच में द्रोण सा ही रहा तु
फिर एकलव्य का सौदा कर गया
आज तेरे खबरी की खबर सच लगी
पहली बार वो विश्वास कम रहा
बदलना तेरी नियत थी
मै खा-मो-खां आस के पेड बोता रहा
होगी तेरी अपनी शर्तें
मै अपने मूल्यों पर जिया हूँ
बदलना तो सभी को था
पर तेरा ये भी रंग था, उम्मीद न थी
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