मैंने मान लिया
तु पराया कब हुआ ये तब पता चला
जब लोगों ने कहा कि तु जा रहा है
और मैंने झूठ कहा “कि मुझे पता है”
दूरियों का अहसास तब हुआ
जब तुने कहा “जल्दी में थी”
और मैंने मान लिया ...
ख़ामोशी का अहसास तब हुआ
जब तेरे क़दम ठिठक कर चल दिये
और मै सरपट दौड़ गया
यूँही उन सम्मानों का असर भी रहा
जब मिलती हुई आँखों ने कोई बात न की
और मन चुपचाप रो गया.....
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