तेरी मेरी
कुछ तेरी होंगी कुछ मेरी होंगी
बातें होंगी शिकवा शिकायतें होंगी
बैठना कभी ठौर ‘दगड्या’
अपनेपन की दो चार कहानियाँ होंगी
कुछ तुने कुछ मैंने छुपाई होंगी
लोगों से सुनी बहुत बातें होगी
खुलना कभी जी भर के ‘दगड्या’
कुछ परतें दबीं तेरी होगी कुछ मेरी होंगी
कुछ तथ्य तेरे होंगे कुछ मेरे होंगे
कभी सच्चाई से खुल के बातें होगी
मन साफ़ अकेले आना ‘दगड्या’
अपनेपन के दो आँसू तेरे होंगे दो मेरे होंगे
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