तेरी शिकायतें
जो तुम ‘उसी समय भूला’ गये
वो आज तक कचोटता है
वो मेरा व्यवहार हो या तेरी शिकायतें
जो तुम लिख कर मिटा गये
वो आज भी पढ़ना है मुझे
हो मेरे मन की बात या तेरी शिकायतें
जो तु छोड़कर चला गया
वो आज भी पड़ा है किसी कोने मे
हो मेरे मन का विश्वास या तेरी शिकायतें
जो तेरी नज़रें कह देती थी कभी
वो आज भी सुनना चाहता हूँ मैं
हो मेरी नज़रों का वहम या तेरी शिकायतें
......,,
Comments
Post a Comment