स्नेह की गठरी
कभी खोलना यादों के स्नेह की गठरी
जो तुमने बाँधी मैंने खोली नही
स्मृतियों के कुछ निशाँ मिलेंगे
यादों की पतझड़ के मकाँ मिलेगें
कई अनकहे अधूरे क़िस्से मिलेगें
नारजगीयों के खोखले ताबूत मिलेंगे
कभी खोलना यादों के स्नेह की गठरी
जो तुमने जतायी नही मैंने कही नही
सौहार्द के भेजते संदेश मिलेगी
ख़ुशियों की बांटती मिठाई मिलेगी
कई अनकहे सम्मानों की बानगी मिलेगी
अधूरी कहानियों की एक कशिश मिलेगी
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