ख़ामोशी से
शब्द जो खामोश, निकले नहीं
अस्तित्व का मान बढ़ा गए
दूरियों को हर बार देखा
अपने करीब आते हुए
जो दूर ही रहता है सबसे
कौन है अपने लिए
शांत दिखने वाले ही अक्सर
उलझन में दिखाई ही दिए
जो सीधा सा दिखा चेहरा
सबकुछ छुपाने की कोशिश में
भाव हर बार बदलते देखे
अपनापन या नाराज़गी दिखाने में
हो नहीं पायी जो बातें
कुछ निशां यूँ छोड़कर गयी
अधर हिले हों न हों
मन को झकझोर कर चल गयी
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