तु मेरे लिए
सच्चाई का प्रतिरूप था
गम्भीर विषयों की कोई चर्चा
बढते सफ़र का स्नेहशील पड़ाव
और तु मेरे मन का विश्वास था
छोटी सी प्रगति मे साथ था
अनकहे ही सबकुछ बांटना
गीतों मे अकेलेपन का साथ
तु विश्वासघात मे बटता सा दर्द था
दूरियाँ का किसने सोचा था?
हिमालय से सागर का सफ़र
बेरंग रंगों का अपना इन्द्रधनुष
तु मेरे लिए गंगा सा पवित्र था
Comments
Post a Comment