चल फिर
चल प्रयत्नों के कुछ रास्ते बदल दें
मंज़िलों के अदृश्य सपने बदल दें
लम्बी और अकेली होंगी अब सड़के
ख़ालीपन के कुछ इम्तहां दे दें
सम्मानों की पट्टी को मन में सहेज रख दें
अपनो के कन्धों पर सर रख रो दें
मन और कर्म के संघर्षों का सामना कर
अकेलेपन के कुछ पल याद कर लें
अपने को बदलें नही जहां के साथ हो लें
सबका सहारा बने सबके साथ चले चलें
जीवन और स्नेह के तानेबाने मे घुलकर
अपनों के जीवन मे चांसनी घोल दें
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