एक मुसाफ़िर
एक मुसाफ़िर वो भी है
जो साथ चलता ही लगा
दूरियाँ मीलों रही
पर पास बैठा ही लगा
बात ज़्यादा की नही है
हर मौन मे बसता गया
रिश्ते खामोश ही रहे
पर हर गीत मे रचता लगा
भावनाऐं जो कभी बोली नही हैं
सब बात उससे कर गया
यूं तो काँपती ही रही
पर हर आवाज़ से अपना लगा
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