दो दुआएँ
अरमानों मे हिमालय सी उँचाई रखना
मन से जुड़े सम्वेदनाओं के तार रखना
स्नेह की पाती का वो सलाम रखना
दो दुआएँ मेरी भी साथ रखना
सम्मानों के शिखर का वो मचान रखना
फलों की डाली सा वो झुकाव रखना
अनकहीं उस कहानी का सार रखना
दो दुआएँ मेरी भी साथ रखना
सम्बन्धों की बानगी की मिठास रखना
किताबों में ख़ुशबुओं की स्मृतियाँ रखना
यादों मे मेरी बदमाशियों का मनन रखना
दो दुआएँ मेरी भी साथ रखना
उन हल्के सहमे क़दमों की थाप रखना
झुकती उठती नज़रों की नाराजगियां रखना
बातों मे कभी मेरी शैतानियों का ज़िक्र रखना
दो दुआएँ मेरी भी साथ रखना
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