पराया ही सही
तू डूबता ही सही
फिर भी अपना सा लगा
इसी उम्मीद में हज़ारों सुबह देखी
इसी उम्मीद में हज़ारों शामें खोयी
तू दूर ही सही
फिर भी पास सा लगा
इसी उम्मीद में तुझ तक पहुँचा
इसी उम्मीद में दूरियों में रहा
तू खामोश ही सही
फिर भी बोलता सा लगा
इसी उम्मीद में बात कर गया
इसी उम्मीद में सपने सजा गया
तू पराया ही सही
फिर भी मन के सबसे पास लगा
इसी उम्मीद में कभी तुझे खो दिया
इसी उम्मीद में तुझे पा सा लिया
फिर भी अपना सा लगा
इसी उम्मीद में हज़ारों सुबह देखी
इसी उम्मीद में हज़ारों शामें खोयी
तू दूर ही सही
फिर भी पास सा लगा
इसी उम्मीद में तुझ तक पहुँचा
इसी उम्मीद में दूरियों में रहा
तू खामोश ही सही
फिर भी बोलता सा लगा
इसी उम्मीद में बात कर गया
इसी उम्मीद में सपने सजा गया
तू पराया ही सही
फिर भी मन के सबसे पास लगा
इसी उम्मीद में कभी तुझे खो दिया
इसी उम्मीद में तुझे पा सा लिया
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