अकेले में
तु साथ ही रहता है हर वक़्त
तु पास ही बैठा मिला
जब कभी नज़र घुमायी
अकेले मे तुझसे दो बाते कर डाली
तु हर गीत मे एक शब्द बनकर
छन्द बनाता ही मिला
जब कभी क़लम उठायी
अकेले मे तुझपे दो बातें लिख डाली
तु हर सोच मे निश्चय बनकर
दृढ़ता सा लाता मिला
कल्पना ने जब पंख ओढ़ें
अकेले में तुझसे कई शिकायतें कर डाली
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