एक नीड़ है
एक नीड़ है उम्मीदों का
बसता गाँव है विश्वासों का
तु ही पहरेदार है तु ही मालिक है
चाहे तो बचा लेना या बेच लेना
एक पौध है आस की
सौंधी ख़ुशबू है अपनेपन की
तु ही माली है तु ही सौदागर है
चाहे तो सवांर लेना या सौदा कर देना
एक मन्नत है ‘मन’ की
सच्ची गाँठ है भरोसे की
तु ही मन्दिर है तु ही पुजारी है
चाहे तो आशीष रखना या पट बन्द कर देना
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