जानता हूँ
वो दरीबे तो सज नही पाये
तो ये पहाड भी पूरे टूट नही पाये
जानता हूँ तु शुरु नही करता
पर ख़त्म भी तो कुछ हो नही पाया
हिमालय की बर्फ़ गलती देखी है
ख़त्म होती तो नही देखी
जानता हूँ तु दूर ही खड़ा रहेगा
पास आती दिन की परछाईं नही देखी
ठुठरती बिलबिलाती गौरैया देखी है
पंख फैलाकर रुकती भी तो नही देखी
जानता हूँ तु उड़ ही जायेगा कहीं
हर जगह बैठने को डाल तो नही होती
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