सन्देशों के रंग
सन्देशों के रंग अपने संग
भावनाओ के द्वार पर
कभी बोने नही लगते
जो चढ़ जाय तो उतरते नही
दूरियों को क़रीब से समझा
मनो की हार पर
कम कब हुआ नातों का असर
जो चढ़ जाय तो उतरता नही
स्नेह के निशान गहरे होते हैं
अपनो के खोने पर
कभी पराये नही लगते
जो पास लगें वो भुलाये नही जाते
तु अकेला वो शख़्स है
जो पहल न भी करे तो
कभी दायरे से बाहर नही लगता
जो मन मे हो वो भुलाये नही जातें
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