विश्वासों के समुन्दर
जो सुना है सब
भरोसा मत करना
देखा है जिसे परख लेना
मरीचिका जो संदेहों की
फैलायी है तेरे लोगों ने
कभी विश्वासों के सुखे समुंदर
के पास आकर
खुद लहरों के निशा देख जाना
जिनकी छाया है तुझपर
उनके भरम को समझ जाना
दो पल रुककर
खुदसे बात कर जाना
भरम जो फैलाये हैं तेरे लोगों ने
कभी अकेले बैठकर
बातों की असर का उनके
वज़न तोल जाना
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