वहम है
तु जब खामोश रहता है
षड्यंत्रों के असर मे होता है
शंकाओं की उहापोह
यहाँ भी है वहाँ भी है
तु लाचार सा दिखता है
विश्वासों मे क्यों वहम होता है
ग्रहणों का प्रभाव
यहाँ भी है वहाँ भी है
तु भी उस भीड़ मे है
खुद के विचारों को मरते देखा है
उलझन की दीवार
यहाँ भी है वहाँ भी है
तु भी उसी निशान पर है
तीरों से अपने को भेदते सहा है
द्वद की खींचतान
यहाँ भी है वहाँ भी है
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