सबका मान है
किसी की दुवाऐं लेता हूँ
किसी की बद्दुआएँ लेता हूँ
सबके लिए मन से नही
अक्सर सच के साथ होता हूँ
कोई चुपके से मन में रखता है
कोई मक्खी की तरह फैंक देता है
गिला किसी से भी नही
अक्सर भावनाओं को एकतरफ़ा रखता हूँ
कोई चुराके नज़र सम्मान करता है
कोई लगातार उपयोग करता है
मन जानता सबकुछ है
खामोश सबका मान रखता हूँ
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