तु नदारत था
जिसे तेरे लिए सोचा था
अब अपने से शुरु किया
उत्साह उमगं बरक़रार था
पर फिर तु नदारत था
जिस मंच तेरा हाथ होना था
अब ख़ुद से चढ़ना पड़ा
मंज़िलें वहीं खड़ी दिखी
पर फिर तु नदारत था
जिस महताब को साथ देना था
अब अकेला ही बढ़ना है
भीड़ फिर एक बार वहीं दिखी
और तु था कि नदारत था
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