अच्छा है

ये संशय भी अच्छा है 
बन्द आँखों से पढ़ना है 
लिखी हुई कहानी का 
अन्त न हो ये अच्छा है 

ये मौसम भी अच्छा है
बिन बरसे बादल उमड़ा है
बहती हुई नदियाँ  का 
कोई छोर न हो ये अच्छा है 

ये साथ ख़ामोशी का अच्छा है 
पलकों की नमी सलामत है
गरजती गिरती उस बिजली का 
वो तेज़ उजाला भी अच्छा है 

Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

कल्पना की वास्तविकता