पास देखता हूँ
कभी मुष्क सा छूकर जाना
स्नेह की आशा में घुल जाना
कभी दरवाजे पे मूरत बन जाना
तुझे देखता नहीं बस सोचता हूँ
कभी मानस पर छाप छोड़ना
गीत ग़ज़लों में घुल जाना
कभी किताबो में बस जाना
तुझे सोचता नहीं गाता हूँ
कभी सपनो में आ जाना
ख्यालों में रच बस जाना
कभी पहाड़ो में तुझे देखना
तुझे गाता नहीं पास देखता हूँ
स्नेह की आशा में घुल जाना
कभी दरवाजे पे मूरत बन जाना
तुझे देखता नहीं बस सोचता हूँ
कभी मानस पर छाप छोड़ना
गीत ग़ज़लों में घुल जाना
कभी किताबो में बस जाना
तुझे सोचता नहीं गाता हूँ
कभी सपनो में आ जाना
ख्यालों में रच बस जाना
कभी पहाड़ो में तुझे देखना
तुझे गाता नहीं पास देखता हूँ
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