अपनी दुनियाँ
उन रास्तों पर चलता रहा
ये सोचकर कि तु साथ है
मंज़िलों की तलाश नहीं
कभी ख़्वाबों में जीना अच्छा है
किसी से कुछ चाहा नही
ये सोचकर कि तु अपना है
हमसफ़र की तलाश नही
कभी ख़्यालों में रखना अच्छा है
शहरां से आजकल दूर ही रहा
है एक छोटी सी दुनिया अपनी
भीड़ में यूँ तो जीते हैं सभी
कभी अकेले जीना भी अच्छा है
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