सर्वस्व हारना

अहसासों की ज़मीं पर 
नाराज़गी पलती नही  
जब जीतना मनों को हो 
सर्वस्व हार जाना ही अच्छा  

जो हार गये अपनो से 
वो सब अमर हो चले 
वो राधा थी वोही कान्हा 
फ़ना होकर अमर होना अच्छा 

इच्छाओं के आसमान पर 
सम्मान की बेल लटकती नही 
बढ़ना  हो जो उँचा कुछ भी 
धरती से जुड़कर उठना अच्छा 


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