बाकि रहता है
ढलती शामों में एक से हैं
तेरे जहाज़ और मेरे पहाड
जीवन की आस में अक्सर
वो कौतुहल भर ही जाते हैं
बढ़ती राहों मे साथ से हैं
वो तेरे लोग और मेरे लोग
बिछड़े हुऐ अरमानों को
सहारा मिल ही जाता है
सुबह जीवन की संघर्षों में
तेरी कोशिशें मेरी कोशिशें
मंज़िले दूर अलग हो तो क्या
अहसास बाकि रह ही जाता हैं
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