सौंधी खुशबू
कभी शहर की धूल मिली
कभी गांव की सौंधी खुशबू
दौड़े सरपट राह अजनबी
कभी पहाड़ की शाम मिली
कभी सपनों की परचम चाह
वो साँस सकुचाती सी लगी
बिश्वाश रहा सदा वो अजनबी
कभी अपनों की छाँव मिली
कभी सुबह सुहानी जीवन की
कभी सपने खोती रत मिली
खोया पाया भूली बिसरी
यादों की हर साख मिली
कभी गांव की सौंधी खुशबू
दौड़े सरपट राह अजनबी
कभी पहाड़ की शाम मिली
कभी सपनों की परचम चाह
वो साँस सकुचाती सी लगी
बिश्वाश रहा सदा वो अजनबी
कभी अपनों की छाँव मिली
कभी सुबह सुहानी जीवन की
कभी सपने खोती रत मिली
खोया पाया भूली बिसरी
यादों की हर साख मिली
Comments
Post a Comment