कुछ तो है
कुछ तो है जो छुपाता है
असहज है या अनजान
यूँ तो तु अजनबी बनकर ही रहा सदा
जो पूछूँ तु बतायेगा नहीं
नज़र फेरना आदत ही रहीं
यूँ तो तु अजनबी बनकर ही रहा सदा
डोर के छौर हैं कसमकश
टूटती नही एक ओर खींचने से
यूँ तो तु अजनबी बनकर ही रहा है सदा
कहीं किसी कोने का विश्वास
मरने नही देता भावनाओं तो
यूँ तो तु अजनबी बनकर ही रहा है सदा
मतलब के होते रिश्ते
तो मुमकिन था जीतने की चाह होती
यूँ तो तु अजनबी बनकर ही रहा सदा
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