हम भी हैं तुम भी हो
काग़ज़ के तहख़ानों से
कुछ याद समेटें निकली हैं
पीपल के सूखे पत्ते और
कुछ सकुचाई कोंपल हैं
सूखे ख़्वाबों में भी सुन्दर
कुछ गीतों की खुशुबू हैं
हम भी हैं और तुम भी हैं
साथ वो ज़िन्दा यादें हैं
यादों की उस पोटली में
अनगिनत कुछ कहानियाँ हैं
शुरु हुई कुछ ख़त्म नही हैं
कुछ दबीं जबां ने कही नही हैं
कहीं थमीं हैं हाथ अंगुलियाँ
कहीं अलसाये होंठ थर्राते हैं
हम भी हैं और तुम भी हैं
साथ वो यादें ज़िन्दा हैं
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