सार
जो मुश्किल था पास हमारे
सब उत्तर तु पाले है
जहाँ सफ़र खामोश हुआ था
चीख़ती कुछ तो यादें हैं
हर रिश्ते का सार बताते
तेरे शब्द सम्भालें हैं
जो अचेतन था मन में हमारे
वो मूरत तु ढाले है
जब भी रहा वो अशान्त चिन्तन
शान्त किया तेरी यादों ने
हर आशा की साँस बँधाता
अपना खोया सावन है
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