कोने मे
जब जीवन संघर्ष रहा
फ़सल अधपकी जल गयी
सूनसान किसी कोने में
बीज पड़ा मुस्कुराया है
जब वनाग्नि में सब भष्म हुआ
मन मन्दिर सब आहत हुआ
धरती के किसी कोने में
कोंपल खड़ी मुस्कुरायी है
जब अन्धेरों ने राह घेर ली
स्याह कालिमा छायी थी
जंगल के किसी कोने में
जुगुनु ने राह दिखायी थी
फिर समय ने परीक्षा ली है
फिर अन्वेषण ने पुकार है
कोई रचियता किसी कोने में
मन्द मधुर मुस्कुराया है
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