तु भी था
एक तु भी रहा है साथ मेरे
घनघोर अन्धेरी रातों में
जग रोशन था उन राहों में
हर एक समेटी यादों से ।
एक तु भी रहा है पास मेरे
हर सुबह की पहली किरणों में
मन विचलित सा उन राहों में
हर एक अनूठी बातों से ।।
एक तु भी चला है साथ मेरे
हर भरी थकी दुपहरिया में
कभी बैठा था जिस छांव तले
हर सपनों की उम्मीदों से
एक तु भी रहा है अपनों में
हर रिश्तों की गरमाहट में
मन लगा रहा जिन रिश्तों की
हर एक सुहानी यादो में ।।।
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