छोड़ आया हूँ
उड़ने की चाह में, खुला आसमां छोड़ आया हूँ
एक सपने की तलाश में, हज़ारों छोड़ आया हूँ
वो सोचतें हैं कि दो फूल बहका लेंगे मुझको
तो बता दूँ कि सरसों के खेत छोड़ आया हूँ
बसने की चाह में यायावरी छोड़ आया हूँ
एक दिखावे के लिए आवारगी छोड़ आया हूँ
वो सोचते चन्द चारा देकर बाँध लेंगें मुझको
तो बता दूँ कि हर खूँटा लाँघकर दौड़ आया हूँ
पाने की चाह में बहुत मंज़िले छोड़ आया हूँ
किसी की हँसी के लिए खुद रोकर आया हूँ
जो सोचते हैं कि भूल गया हूँ सब कुछ
तो बता दूँ हर लक्ष्य साधकर आया हूँ
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