दूरियाँ जानती नही
दूरियाँ दौड़ाती बहुत हैं
कभी मील के पत्थर में
कभी समय की सीमा में
ये नही जानती कि मन है
न जाने कब कहाँ पहुँच जाय
दूरियाँ तड़फड़ाती बहुत हैं
कभी आँसुओं में ढल जाती हैं
कभी गुमसुम कर जाती हैं
ये नही जानती कि आस है
छूटती कब है छोड़ती कब है
दूरियां अहसास करवाती भी है
कभी पुरानी यादों मे ले जाती है
कभी सालों की सोगात दे जाती है
ये नही जानती कि कोई रिश्ता था
मनों का मन में उतर कर रह जाता है
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