भूला नही
हर सफ़र मे छांव कब है
हर तलाश की मंज़िल नही
किसी को कुछ याद नही कोई कुछ भुला नही
हर झरने पर प्यास कब है
रेगिस्तां आँखों में पानी नही
कोई दो कदम साथ चला नही
कोई दो कदम भूला नही
हर ख़ामोशी चुप कब है
मन का बबंडर शान्त नही
कोई आवाज देता नही
कोई चुप्पी भूला नही
हर स्नेह स्पष्ट कब है
हर शब्द बाहर निकला नही
कोई ग़ुस्सा आँसू में बहा गया
कोई आँसू को कभी भूला नही
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