मैं पत्थर था
जानता था वो नदी सा था
उमड़ घुमड़कर आया था
खड़ा रहा मैं पत्थर था
नदी होता तो बह जाता
किनारे कब बचे वेग था
अवसादों का साथ था
हिला नहीं मैं पत्थर था
मिट्टी होता तो बह जाता
बहना था जिसे वो बह गया
तू भी रंगो में रंग गया
खिसका नहीं मैं पत्थर था
रंग होता तो बह जाता
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