शिवजटा
अस्तित्व छोटा संकरे रास्तों पर
मैं मचलती दौड़ती एक योवन हूँ
मिलना नही उस बडे समुन्दर
मै जलतन्त्र की छोटी नदी हूँ
फैले से उन्मुक्त आकाश में
विरह की बाँसुरी की धुन हूँ
सिमटा हुआ सा प्रवाह है
मैं पहाड की छोटी नदी हूँ
तुम समुन्दर से भी गहरे
लाख दम्भ मन में दबायें
खुद की पहचान खोकर
मैं शिवजटा की छोटी नदी हूँ
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