कुछ नहीं है
कुछ नहीं है फिर भी एक आस है
संवादों के सिमित दायरों में
रिश्तों की एक मिठास है।
संवादों के सिमित दायरों में
रिश्तों की एक मिठास है।
कुछ नहीं है फिर भी विश्वास है
खींचती बढ़ती दूरियों में
अनछुआ सा कोई तार है।।
कुछ नहीं है फिर भी अहसास है
सींचता है खालीपन में
स्मृतियों का कोई प्रयास है।।।
कुछ नहीं है फिर भी मन उदास है
कहता है सबकुछ मौन में
यादों का एक इतिहास है।।।।
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