शामिल
अक्सर लिखकर मिटाता हूँ
वो उसका नाम और यादें
उजाड़े कहाँ जाते हैं
घोंसले जो खुद बनाये हों
तु शामिल मेरे जहां में है
कुछ यादों में कुछ भावों में
वो बनता बिगड़ता है
सपनों का जहां मेरा
तु आये या नहीं आये
मनो के बीच रहता है
कहां भूला वो जायेगा
जो मन के पास रहता है
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