शब्दों से दूर
खबर है न कहीं ख़ामोशी व्याप्त है
दर्द जब चुप रहे तो आवाज है
दूर शब्दों से भी अलग एक बात है
जो कभी भी किसी से कहीं गयी न गयी
अजनबी हों कहीं या कि कुछ और है
कबतक छुपेगा ये जो अंदाज़ है
लिख सके ना कहीं ये अलग बात है
कुछ अभिलेख कभी भी पढ़े ना गये
सरहदों पर कहीं खाली तारें पडी
जाल है या कही कोई एतबार है
न हों कोशिशें ये अलग बात है
दूर हो ना सके मन जो मिले कभी
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