मन के कोने पर
वे जाने वाले चले गये पर मेले खामोश रहें ।
एक जीवन जीया है हमने इन खाली रंगमंचों पर
कदम कभी लौटे थे उलटे, नज़र झुकी किताबों पर
हर एक लम्हा जीया हमने ढलती शाम वीरानों पर
शब्द कभी वो लिख नही पाए आवाज़ रही जो मौन सदा
हर अहसास जीया है हमने जगती रात अंधेरों पर
जो बातें दोहराई तुमने सार यही है जीवन का
आज उजाले दीप जले वो ग़ुम थे मन के कोने पर
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