घुलता जाएं तु
हमको तुमको एक मिलाती संगम सी दो सरिता
आ पावन गंगा बन जाएं भगीरथ हो अलकनंदा
सांसों के गहराते स्वर में यादों की निशानियां
मुझमें घुलता जाएं तु जीवन की यही कहानियां
सीमाओं का इल्म नही खुशबू की ये पहचान रही
आ घुलमिल परमल बन जाएं फूलों और पत्तों की
शब्द नहीं जब कह पाएं महसूस हो सारी बातें
मुझमें घुलता जाएं तु जीवन की यही शरारतें
माँ का आँचल तेरी गोदी धरती का बिछोना हो
सुख दुःख सारे बाँट भी लें हम एक दूजे की ताकत हो
मै तेरा स्वभाव चुरा लूँ और तु मेरी बदमाशियां
मुझमें घुलता जाएं तु जीवन की यही अभिलाषा
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