वो सब जानते हैं
जो चुप थे कभी कह न पाए किसी से
वो सब जानते हैं ये स्नेह मेरा
कदम दर कदम साथ चलना था जिसके
वो सब मानते थे ये स्नेह मेरा
जो उठाते रहे फ़र्ज़ अपनों का बढ़कर
वो सब जानकर था ये परित्याग मेरा
वो नज़रें शिकायत कर न सकी जो
वो सब मानकर था ये परित्याग मेरा
जो दिल से मिला और खोकर गया सब
वो सब जानता था ये स्नेह मेरा
जो बाँहों में घुलमिल गया था कही पर
वो सब मानते था ये स्नेह मेरा
जो बढ़ाते गए दूरियों को निरंतर
वो सब जानकर था ये परित्याग मेरा
वो जो मुझसे कहीं दूर जा न सके जो
वो सब मानकर था ये परित्याग मेरा
जो सांसो को सांसों में रहकर गया सब
वो सब जानता था ये स्नेह मेरा
जो देहों में रचबस गया है कही पर
वो सब जानता था ये स्नेह मेरा
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