साथ चलना
वो होंगी अधूरी सी बातें भी पूरी
जो तु साथ देगा जहाँ भर में थोड़ा
कदम दर कदम साथ चलना ओ साथी
वो मंजिल नहीं दूर अब कुछ ओ साथी
उन सांसों का इतिहास जीवन लिखेगा
ये रिश्तों की आधी अधूरी कहानी
वो होंगी अधूरी कहानी भी पूरी
जो तु भी लिखेगा वो दो पृष्ठ थोड़ा
वचन दो वचन साथ देना ओ साथी
वो मौसम नहीं दूर अब कुछ ओ साथी
उन त्यागों का समर्पण जीवन लिखेगा
ये एकाकी मानों की अधूरी रवानी
वो होंगी अधूरी रवानी भी पूरी
जो तु साथ होगा इस ढलती जवानी
यूँ ही सदा मिलते रहना ओ साथी
वो संगम नहीं दूर अब कुछ ओ साथी
इन मन का अंकुर सज कर रहेगा
ये माली भले छोड़ दे सब निशानी
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