मौसम में रे मन !
बारिश की कुछ बूँदें मद्धम
जीवन का सार सिखाती हैं
होले चल मौसम में रे मन !
राह अभी भी लम्बी है।
बिजली की वो तेज चमक
आवाज़ अभी भी डराती है
संभल जरा मौसम में रे मन !
मंजिल तेरी दूर बड़ी है।
भीग गया जो छोटा मन
संसार भिगोना बाकि है
चुपके चल मौसम में रे मन !
लाखों तुझ पर नज़र पड़ीं हैं
साथ हैं पर साथ कहाँ हैं
साथ चलना अभी बाकि है
धीरे संभल मौसम में रे मन !
राह तेरी जरूर लम्बी है।।
Comments
Post a Comment