डर
निशब्द रहे जो बरसों में वो डर था एक इस मन का
कब रोका था तुझको वो जो डर था इस मन का
जाते तुझको देखा था खोया था हर सपना
पास नहीं था जब तु वो डर था इस मन का
दूरियां बढ़ती गयी जो वो डर था एक इस मन का
जब जुबान खुली थी वो डर था एक इस मन का
तोड़ी थे जो बंधन लाँघ गया था सीमा
आंसू जब निकले थे वो डर था इस मन का
मिलन न होगा अब फिर ये डर था इस मन का
रूठ गया था जो तु वो डर था एक इस मन का
पास जो आये हम तुम गले लगाया तुमने
खो ना दूँ तुझको फिर से वो डर था इस मन का
क्या पूछेगा अब वो ये डर था इस मन का
समझेगा अपनेपन को ये डर था इस मन का
बढ़कर हद से आगे आगोश में लिया जो सच को
बुरा ना लगे तुझको वो डर था इस मन का
साथ चलेगा क्या तु ये डर था इस मन का
अब डर नहीं लगता मुझको जो सरहद पार किये हमने
ये डर वो डर सब डर थे बस कहने की लाचारी थी
तु साथ ना देगा अब ये डर भी नहीं लगता इस मन को
तुझको खो जाने का डर था इस मन को
तुझमे खो जाने का डर कहाँ इस मन को
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