तुम आ
थे अलग रहे जो हम तुम आ खुद में हम खो जायें
हम दो धार मिले नदियां की और गंगा हम बन जायें
थे अलग चले जो हम तुम आ संग कभी चल जाएँ
हम दो राह मिले पर्वत की और मंदिर घूम भी आएं
थे रहे सदा दूरी में आ पास कभी मिल जाएँ
मंजिल एक रहे और समुन्दर में मिल जाएँ
थी अलग रही पहचान सदा आ एक पहचान बनाएं
तत्व रहे जो अलग सदा मिटटी पानी सा घुल जाएँ
आ तु मेरी सांसे बन जा मैं खुशबू तेरे तन की
तु मुझमे घुलता जायें और सांसे बन जायें जीवन की
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