वो सूरज देखता है
हो ढलता हो वो सूरज देखता है
मेरी यादों को वो मन पिरोता है
सोचता मुझे कहता है सोच से
याद की किताब यूँ सजी है शाम से
वक़्त जा रहा पर है थमा जरा
मेरा वो प्रकाश मुझ तलक रहा । हो हो ढलता हो
मेरी आँखों से देखता है जग जरा
आधा सा ही है मन है बसा सदा
उम्र जा रही पर है थमा जरा
मेरे मन का चैन मुझ तलक रहा। । हो हो ढलता हो
मुझसे लड़ता है मुझको ही मनाता है
वो मेरा है सदा मुझसे दूर है कहीं
पास आ रहा पर है थमा जरा
मेरे मन का दर्द मुझ तलक रहा। । हो हो ढलता हो
बांटता है सब राह भी दिखता है
वो मुझमे है सदा खुद से दूर कहीं
साँस सा रहा पर है थमा जरा
मेरा हमसफ़र मुझ तलक रहा। ।
हो ढलता हो वो सूरज देखता है
मेरी यादों को वो मन पिरोता है
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