अधर
एक कहानी अधरों की मन से आज सुनाता हूँ
लालायित शब्दों का कोई अर्थ सुनाता जाता हूँ
लाल कमलदल पंखुड़ियों सा खिलता एक सवेरा है
कोमल सी काया का कोई वो भी एक रखवाला है
पास बुलाते अक्सर से वो दूर दूर से देखे थे
छुवन कहाँ महसूस हुई थी मन आस खिलाये थे
टेसू के जंगल में कोई सेमल के से फूलों सा
गदरायी काया का कोई वो भी एक रखवाला है
यूँ तो ढंग से याद कहा थे स्पर्श रहेगा याद सदा
समता है दलदल में जैसे अश्व एक सा देखा है
फूलों की घाटी का कोई कस्तूरी की खुशबू सा
बरखान की मरीचिका का वो भी एक रखवाला है
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