गिला नही
इन ख्बाईशों के पहाङ पर
न मैं चढ सकूँ तो गिला नही
मेरी कोशिशें तो हैं सदा
न बढ सकूँ तो गिला नही
वो जो पास है मंजिल जरा
न मैं पा सकूँ तो गिला नही
मेरी याद में बसा सदा
न मैं मिल सकूँ तो गिला नही
वो जो मन बसा सपना कोई
न मै देख लूँ तो गिला नहीं
मेरे कर्मपथ पे जो सदा
न मैं चल सकूँ तो गिला नही
वो जो एक राह घर मेरी
न बुला सकूँ तो गिला नही
तु पहचान है मेरी सदा
मै मिट भी लूँ तो गिला नही
Comments
Post a Comment