विश्वास का पर्याय
मेरे गमलों में उगी है
आस की एक पौध जो
खेत छूटे जब तलक से
लौटती उम्मीद वो
मेरे सपनो जो दिखा था
वो हक़ीक़त साथ है
एक नदी जो बह गयी थी
आज संगम पास है
मेरे घर कोने जो सिमटी
स्नेह की जो याद है
साथ छूटे जब तलक से
लौटती फरियाद वो
मेरे दरवाजे बजी जो
पीर की आवाज़ है
रंग जो फीके पड़े थे
सतरंगी अहसास है
मेरे मन ने जो पुकारा
गुम हुई सी प्यास है
बदरा घिरे हैं जब तलक से
प्रेम की फुब्बार वो
मेरे संग जो अब चला है
विश्वास का पर्याय है
बीज जो बरसों गड़े थे
माँ सा जंगल पास है
एक हकीकत जी रहा हूँ
स्नेह की खेतों का माली
कौन जाने कब तलक है
भाग्य की एक फसल वो
कुछ पास जो आ चुके हैं
पोखरों की मेढ़ पर
तटबंध जो बरसों मढ़ें थे
बाँटते हर प्यास हैं
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